देश
के कुछ बेहतरीन जायकों से मेरा परिचय अक्सर इत्तेफ़ाक़ से होता है. उस रोज बंगलोर
एयरपोर्ट से मैसूर के लिए निकले 3 घंटे हो चुके थे और लगातार बारिश और ठंडी हवा ने गाड़ी
के अंदर ही हड्डियों में झुरझुरी सी भर दी थी. हमारी टीम के कुछ लोग कुछ महीने
पहले इस रास्ते से गुज़र चुके थे सो उन्हें मंड्या के आस-पास किसी खूबसूरत रेस्तरां
की याद थी जहां उन्हें स्वादिष्ट खाना-पीना मिल गया था. पर अब तो दरकार सिर्फ एक
अदद चाय की थी. मंड्या में वो रेस्तरां भी मिल गया लेकिन ठीक उसी के सामने सड़क पर अपनी
ओर ही एक ओर ढ़ाबे नुमा रेस्तरां था. हमें तो जल्दी से एक कप चाय पीनी थी सो गाड़ी
किनारे लगा चाय ऑर्डर कर दी गई. मुझसे सूखी चाय गले से नीचे नहीं उतारी जाती...साथ
में बिस्कुट या हल्का स्नैक चाहिए. पर इस रेस्तरां में बिस्कुट नाम की चिड़िया थी
ही नहीं. फिर रेस्तरां के मालिक से पूछा कि ऐसा आपके पास क्या है जो चाय के साथ
लिया जा सकता है. उन हज़रत ने मैसूर वड़ा के लिए सिफारिश की और इसकी रेसिपी पर दो
लाइनों में चर्चा हुई और कुछ इस तरह मेरा एनकाउंटर हुआ "मैसूर वड़ा" के
साथ. मैसूर-वड़ा नारियल चटनी के साथ परोसा गया था. हमें बाद में बताया गया कि इसे
मद्दूर-वड़ा भी कहा जाता है और ये लाजबाव स्नैक मैसूर और बैंगलोर के बीच बहुत
लोकप्रिय है. दरअसल हम बैंगलोर-मैसूर हाइवे पर थे और मद्दूर नाम की वो जगह पास ही
थी जिसके नाम पर इसका नाम पड़ा. तो साहब, मद्दूर या कहिए कि मैसूर वड़ा
चावल, मैदा के आटे से प्याज, नारियल, और खासतौर से दक्षिण भारतीय व्यंजनों में खास तौर से प्रचलित
मसालों से तैयार किया जाता है. ये कर्नाटक का चखा जाने वाला पहला स्वाद था जो
हमेशा याद रहेगा.
यात्राओं, कला, संस्कृति, विरासत और इतिहास को समर्पित हिंदी ब्लॉग. इस ब्लॉग में भारत के विभिन्न पर्यटक स्थलों, लोक कलाओं, इतिहास और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर निजी अनुभवों के आधार पर अथवा शोध के उपरांत तथ्यपरक जानकारी प्रस्तुत की जाती हैं. हिंदी भाषा में गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य है.
बुधवार, 13 अप्रैल 2016
एक बेहतरीन जायका....मैसूर का मद्दूर वडा - Maddur Vada
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