अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला: जादू के पिटारे का फिर से खुलना।
दिल्ली के प्रगति मैदान में वो जादू का
पिटारा ट्रेड फेयर एक बार फिर खुल गया है। वही पिटारा जिसमें दुनिया जहान का
बाज़ार खुद-ब-खुद सिमट कर चला आता है। हममें से बहुतों के बचपन की यादें इस मेले
से जुड़ी हैं और हम आज भी हर साल ट्रेड फेयर के दौरे के साथ उन यादों से कुछ धूल साफ़
करने की कोशिश जरूर करते हैं। दिल्ली और आस-पास के इलाके के परिवारों के लिए तो ट्रेड
फेयर की विजिट साल का अनिवार्य अनुष्ठान रहा है। चाहे कुछ न खरीदना हो फिर भी एक बार
देखने जाना जरूरी है। बचपन में जब एक बार ऐसे ही मेले में किसी ने बताया कि ये दुकानें और साजो-सामान हर साल सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही यहां होते
हैं तो मन यकीन नहीं कर पाया। ऐसा कैसे हो सकता है? इतना
बड़ा बाजार, इतनी दुकानें, इतना सामान कैसे कहीं जा सकता है? मेला मेरे लिए चंद्रकांता के तिलिस्म जैसा हो गया था। फिर हम
बड़े हो गए और रहस्य समझ आने लगा मगर मेले का तिलिस्म कुछ हद तक अभी भी बरक़रार है।
14 से 27 नवंबर तक चलने वाले ट्रेड फेयर के
पहले चार दिन कारोबारियों के लिए रखे गए थे और उसके बाद 18 तारीख से यह मेला आम
जनता के लिए खुल गया है। मैं हर बार खूब भीड़ भडक्के के बीच मेला देखता रहा हूं
मगर इस बार मुझे तीसरे दिन बिजनेस आवर्स में यह मेला देखने का अवसर मिला। सो तसल्ली
से लोगों से बात करने का मौका भी मिला। इस बार मेले की थीम है- ‘स्टार्ट अप इंडिया-स्टैंड अप इंडिया’। हर
राज्य के पैवेलियन में नया प्रयोग करने वाले स्टार्ट अप को मौका दिया गया है। ये
एक अच्छी शुरूआत है।
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हॉल नंबर 18 |
मगर इस बार मेले की शक्लोसूरत काफ़ी हद
तक बदली नज़र आ रही है। दरअसल मेला क्षेत्र के बड़े हिस्से में निर्माण कार्य चल रहा
है और राज्यों के पैवेलियनों को उनके स्थाई ठिकानों की जगह विशायकाय हैंगरों में
जगह दी गई है। इसलिए हर बार की तरह राज्यों की भव्य सजावट देखने को नहीं मिल पा रही
है। लेकिन इसके बावजूद मेले का तिलिस्म कम नहीं है। जिन्होंने एक बार भी ये मेला
नहीं देखा हो उनसे मेरा कहना है कि वक़्त निकाल एक बार जरूर जाएं। अगली बार मेला अपने
आप आपको बुला लेगा।
प्रगति मैदान मैट्रो स्टेशन के निकट गेट
नंबर 10 से मेले में घुसने के बाद 12 नंबर हॉल के बाहर सीआरपीएफ का पैवेलियन मेरा
ध्यान खींचता है। देश की सुरक्षा में सीआरपीएफ का योगदान ज्यादातर अनकहा और
अनसुना ही रहा है। यहां सीआरपीएफ ने बड़े सलीके से अपने जवानों की बलिदान गाथा को
प्रदर्शित किया है। इसी के साथ तमाम हथियारों और ऑपरेशनों की जानकारी आने वालों को
मुहैया कराई जा रही है। मौके पर मौजूद जवान बड़े इत्मीनान से सवालों के जवाब दे
रहे हैं। कुछ पल वहां गुजारने के बाद मैं हॉल नंबर 12 की ओर बढ़ चला। हॉल में
घरेलू सामानों से जुड़े ब्रांड और कारोबारियों के स्टॉल मौजूद हैं। लगभग हर बड़ा
ब्रांड यहां मौजूद है। जूतों, कॉस्मेटिक्स, चाय, इलैक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उपयोग की चीजें यहां देखी और
खरीदी जा सकती हैं। हाजमोला वालों ने सर्दी और खांसी से निजात के लिए एक खास तरह
की चाय बाजार में उतारी है। 12 नंबर हॉल में पिछली तरफ है स्टॉल ....मुफ्त में
टेस्ट कीजिएगा।
इस हाल का जायजा लेने के बाद मैंने हॉल
नंबर 18 का रुख किया। यहां तमाम विदेशी कारोबारी ग्राउंड फ्लोर पर अपने नायाब और
बेहद खूबसूरत साजो सामाने से लोगों को लुभा रहे हैं। वहीं ऊपर की ओर चूरण-चटनी, गजक, गुड़ और घी-तेल के तमाम देसी ब्रांड आपको ललचाने के
लिए बैठे हैं। यहीं मुझे धामपुर का गुड़ मिल गया। एकाध बार पहले भी लिया
है....एकदम शुद्ध और स्वाद से भरा। टेस्ट के लिए ही सही दो-चार पीस ले लीजिएगा।
घूमते-घुमाते मधुसूदन घी का स्टाल दिख गया। दिल्ली के बाजारों में उपलब्ध तमाम
घी के बीच यही एक घी मुझे अभी तक ठीक-ठाक
लगा है। गाय का घी डिस्काउंट पर 450 रुपए किलो के भाव मिल रहा है। ट्राई कर सकते
हैं। लेकिन हां, घी लौटते वक़्त ही खरीदिएगा वरना पूरा मेला घी हाथ
में उठाए-उठाए देखना पड़ेगा। और घी ही क्या साहब, आप 18 नंबर हॉल को ही आखिर के
लिए रख छोडिए। पहले मेला घूमिए....तमाम और स्टॉल और विभिन्न राज्यों के हैंगर
देखिए और आखिर में हॉल नंबर 12, 11, 10 और 18 को रखिए। आपकी असल खरीदारी
यहीं होगी। इन तीन हॉल के लिए ही कम से कम 3 घंटा हाथ में रखिएगा।
मैं यहां से
निकल कर हॉल नंबर 7 के बाहर खुले में सजी नेशनल जूट बोर्ड की दुकानों से होकर
गुज़रा। ये वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला विभाग है। यहां आपको जूट से बने
आकर्षक थैले, खिलौने और सजावटी सामान सस्ती
दरों पर मिल सकता है। इन दुकानों के ठीक सामने ही हुनर हाट है जहां अल्पसंख्यक
कार्य मंत्रालय के सौजन्य से हुनरमंद कलाकारों अपनी दुकानें सजाए हुए हैं। यहां ज़रदोज़ी, लखनऊ की चिकनकारी, खुर्जा की ब्लू पॉटरी, चन्नपट्टना के लकड़ी के
खिलौने, जयपुर की लाख की चूडि़यां, जम्मू कश्मीरे का पेपर मैशे और महिलाओं की आर्टिफीशियल ज्वैलरी के तमाम स्टॉल यहां मौजूद हैं। दिलचस्प
बात ये है कि यहां मौजूद तमाम कलाकार राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड पाने वाले कलाकार
हैं। सो उनकी कला का मोल-भाव करते समय हम जरूरत से ज्यादा सख्त न हो जाएं। मैंने
लोगों को यहां भी बहुत मच-मच करते देखा है। भाई आपको पसंद है तो लो नहीं तो छोड़
दो। हर चौथे स्टॉल पर हवा में फायर मत करो कि करोल बाग में 100 रुपए का मिलता है।
ऐसे हवाई फायर पर दुकान से यही जवाब मिलेगा कि ‘भाई जी, फिर करोल बाग से ही ले
लीजिएगा’।
हॉल नंबर 9 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के पैवेलियन में एक अच्छा अनुभव
हुआ। इस पैवेलियन में आपके ब्लड-प्रैशर, शुगर, बॉडी मास इंडेक्स और डेंटल केयर
की अच्छी व्यवस्था की गई है। इसी तरह की व्यवस्था हॉल नंबर 14 में भी की गई है।
एक छोटा सा फॉर्म भरिए और सारे टेस्ट 10 से 15 मिनट में निपट जाएंगे। यहीं मौजूद
टीम में तमाम हॉस्पीटलों के डॉक्टर भी हैं जिनसे आप टेस्ट रिपोर्ट गड़बड़ आने
पर परामर्श भी ले सकते हैं। सब कुछ नि:शुल्क है। मेरे बीपी की जांच कर रही लेडी
हार्डिंग हॉस्पीटल की डॉक्टर से इस व्यवस्था के बारे में चर्चा की तो उन्होंने
हंसते हुए बताया कि ‘हम तो हर साल इसी तरह अपनी दुकान सजाते हैं, हमारे
पास बेचने के लिए कुछ नहीं है मगर लोगों को उनके स्वास्थ्य के प्रति खूब जागरूक
कर रहे हैं’। डॉक्टर के मुताबिक ‘तमाम लोगों को यहां पहली
बार टेस्ट कराने के बाद आई रिपोर्ट को देखकर झटका लगता है। दरअसल बड़े पैमाने पर
लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हैं। जबकि ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी छोटी
दिखने वाली बीमारियों के प्रति बहुत सावधानी की जरूरत है’। ऊपर वाले का शुक्र था कि मेरा बीपी और शुगर लेवल सामान्य आया। लेकिन डॉक्टर
साहिबा के साथ चर्चा में कुछ और सावधानियों की हिदायत ताज़ा हो गई। नमक ज्यादा मत
खाइए, एक्सरसाइज करते रहिए, नियमित जांच कराते रहिए, पानी खूब पिएं आदि आदि।
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श्री अदिती नंदन |
इसके बाद हैंगर
2 का
जायजा लिया गया। यहां उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, मेघालय समेत कुछ और राज्यों
के पैवेलियन मौजूद हैं। मुझे बिहार राज्य के पैवेलियन में एक स्टार्ट अप ‘आर्ट्ज
इंडिया’ ने अपनी ओर खींचा। हैण्डीक्राफ्ट
और हैण्डलूम को लेकर मेरे मन में हमेशा ख्याल रहा है कि इन क्षेत्रों में बहुत
पोटेंशियल है अगर सलीके से काम किया जाए तो। आर्ट्ज इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर
श्री अदिती नंदन और उनकी टीम के कुछ अन्य सदस्यों से इत्मीनान से
बातें हुईं उनके कंसेप्ट और अनुभवों पर। उनका स्टार्ट अप दरअसल दूर-दराज के
इलाकों में बैठे कलाकारों से सीधे संपर्क कर उनके बनाए उत्पादों को ग्राहकों तक
पहुंचा रहा है। खास बात ये है कि वे औरों से अलग यहां, ग्राहक की पसंद के मुताबिक अपने
डिजाइनरों से डिजाइन तैयार करवा कर उस डिजाइन के अनुसार कारीगरों से सामान तैयार
करवाते हैं। इस काम में जरूरत पड़ने पर वे कारीगरों को छोटी-मोटी ट्रेनिंग भी देते
हैं और कारीगरों के सामानों का अच्छा दाम उन्हें मुहैया करवाते हैं। फिलहाल उनका
स्टार्ट-अप पांच से छह राज्यों में काम कर रहा है और भविष्य के लिए उनके सपनों
को मैं उनकी आंखों में चमकते हुए देख पा रहा था। उधर दिल्ली राज्य के पैवेलियन में दिल्ली पर्यटन के
स्टॉल के साथ ही तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा बनाए गए सामान बिक्री के लिए सजाए
गए हैं। तिहाड़ के इस पहलू पर हम एक अलग पोस्ट में बात करेंगे।
मेले में जगह जगह सांस्कृतिक
कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है। कुछ देर और यूं ही घूमते टहलते टांगे
दर्द से जवाब देने लगीं तो मेले को अलविदा कह बाहर का रुख किया। हालांकि अभी कई और
हॉल और हैंगर बाकी थे मगर सब कुछ एक दिन में देख पाना कहां संभव है। मौका लगा तो एक
बार फिर आया जाएगा। हां, यहां मैं आपको एक लाख रुपए की टिप देना चाहूंगा...ध्यान से नोट कर लीजिए।
यदि मेला देख कर आप वापिस मैट्रो से लौटना चाहते हैं तो गलती से भी भूल कर गेट
नंबर 1 से बाहर मत निकलिएगा। यही गलती मैंने की थी। इस बार मेले के अंदर का भूगोल
बिगड़ा हुआ था सो बाहर निकलते वक़्त धोखा हो गया। गेट नंबर एक से बाहर निकलने पर
लगभग 2 किलोमीटर घूम कर ही आप प्रगति मैदान मैट्रो स्टेशन पहुंच पाएंगे। इसलिए मैट्रो
के लिए वापसी गेट नंबर 10 या 7 और 8 से करें।
14 से 27 नवंबर, 2017
समय: प्रात:
9.30 बजे से सांय 7.30 बजे
टिकट मूल्य:
सोमवार से शुक्रवार 60 रुपए, शनिवार और रविवार: 120 रुपए (टिकटें आईटीपीओ की वेबसाइट से ऑनलाइन भी खरीदी जा
सकती हैं) याद रहे कि मेले
में प्रतिदिन केवल 60,000 लोगों को ही प्रवेश दिया जा रहा है इसलिए समय से पहुंचें। हालांकि अब आप
शाम 7.30 बजे तक भी प्रवेश कर सकते हैं।
बाकी कहानी तस्वीरों की जुबानी यहां सुनिए....
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सीआरपीएफ का पैवेलियन |
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सीआरपीएफ का पैवेलियन |
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इस्तांबुल का सजावटी सामान |
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इस्तांबुल का सजावटी सामान |
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चन्नपटना के लकड़ी के खिलौनेे |
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तिहाड़ की कारीगरी |
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राजस्थान की चूडियां |
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खुर्जा की ब्लू पॉटरी |
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भदोही के कालीन |
धामपुर का गुड |
नेशनल जूट बोर्ड |
यहां तक सब्र से पढ़ने का बहुत शुक्रिया। अपनी प्रतिक्रिया से मैसेज बॉक्स में जरूर
अवगत कराएं और हां, वक़्त हो तो मेला देखने जरूर जाएं 😊
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चलिए आपने बैठे बैठे घुमा दिया !
जवाब देंहटाएंहा हा. कभी दिल्ली आइए मेले के समय...साथ घूमेंगे. :)
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