कहानी सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की
अपने देश में जहां शहरों में गंदगी, कूड़े के ढ़ेर, सड़कों पर बहता
नालियों का पानी और सीवरों का जाम होना आम बात हो वहीं इसी देश में एक ऐसा शहर भी
है जो वर्ष 2017 में क्लीनेस्ट सिटी चुना गया और 2018 में भी सबसे स्वच्छ शहर
का खिताब अपने नाम करने के लिए इस वक़्त पूरी शिद्दत से जुटा हुआ है। स्वच्छता
के लिए एक दीवानगी सी पूरे शहर में नज़र आती है मानो इस शहर के प्रशासन और इसके
नागरिकों की जि़ंदगी का सबसे ज़रूरी काम शहर को स्वच्छ रखना है। आप चाहे
चाट-खौमचे के अड्डे ‘छप्पन’ चले जाएं या देर
रात गुलज़ार होने वाले ‘सर्राफ़ा’ की तंग गलियों
पर नज़र डालें...मजाल है कि ज़रा भी गंदगी कहीं नज़र आ जाए।
मैंने ख़ुद रात 11 बजे भी सफ़ाई कर्मचारियों को सड़कों को बुहारते और गाडियों
को कचरा उठाते देखा है। शहर के हर इलाके में कचरे वाली गाडि़यों के आने का समय तय
है। अगर गाड़ी तय वक़्त पर नहीं आती है तो ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट इंतज़ार
करने के बाद आपको सिर्फ एक नंबर पर मिस कॉल देनी है. इसके बाद नियंत्रण कक्ष खुद
आपसे संपर्क करेगा और दूसरी गाड़ी मौक़े पर भेजी जाएगी। कचरा उठाना एक बात है मगर
गीले, सूखे और घरेलू
जैव कचरे का अलग-अगल वेस्ट मैनेजमेंट करना दूसरी। कचरे के प्रबंधन की भी बेहतरीन
व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
राजवाड़ा के ठीक सामने स्वच्छता का संदेश |
इस तरह निगम प्रशासन ने शहरवासियों को एक मुकम्मल
इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहैया करवाया है और अब शहरवासी उसकी कद्र करते हुए इस पूरे
अभियान को सिर-माथे उठा कर आगे चल रहे हैं। इस पूरी कवायद में बच्चों का जुड़
जाना इस अभियान की सार्थकता और इसकी जीवंतता का परियाचक है। लोगों का कहना है कि, ‘साहब अब तो बच्चे हमें टोकने लगे हैं कि पापा गन्दगी करना बुरी बात है और
खुद ही हमारे गिराए हुए पॉलिथीन या लिफ़ाफ़े को उठा लेते हैं’।
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बसें बस एक ही संदेश दे रही हैं इन दिनों |
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छप्पन का व्यस्ततम इलाका...मगर गंदगी नदारद है |
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प्लास्टिक कचरे को रीसाइकल करने की मशीन |
कुछ लोग इस कवायद का श्रेय निगम कमिश्नर मनीष सिंह को देते हैं तो कुछ लोग इस
अभियान की सूत्रधान यहां की महापौर श्रीमती मालिनी गौड़ को मानते हैं। एक महानगर जैसे शहर को लगातार साफ़ रखना यकीनन आसान काम नहीं है। चुनौतियां लगातार सामने आती हैं। इन चुनौतियों में एक चुनौती है धार्मिक जुलूसों आदि में होने वाली गंदगी से निपटना
और आयोजकों को सफ़ाई के प्रति संजीदा बनाना। निगम इसके लिए कोई रियायत नहीं बरतता है।
कुछ स्थानीय मित्रों ने बताया कि अभी हाल में निगम ने एक धार्मिक समुदाय के जुलूस
से हुई गंदगी के लिए 50,000 का दंड लगाया तो वहीं दूसरे धार्मिक समुदाय द्वारा जलाशयों को
गंदा करने पर मोटा जुर्माना ठोका है। शहर में किसी भी तरह की गंदगी फैलाने वालों को
बख्शा नहीं जा रहा है। रेहड़ी खौमचे वालों को सख़्त हिदायत है। इस तरह इंदौर तमाम
शहरों के लिए रोल मॉडल बन सकता है।
क्लीनेस्ट शहरों का चयन शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा प्रकाशित की जाने वाली नेशनल सिटी रेटिंग के आधार पर किया जाता है। स्वच्छ भारत अभियान सर्वेक्षण 2017 में कुल 500 शहरों को शामिल किया गया है और पूरे देश को पांच जोन में बांट कर हर शहर को कुल 19 मानकों पर परखा गया है। शहरी विकास मंत्रालय द्वारा Quality Council of India को यह सर्वेक्षण करने के लिए अधिकृत किया गया है। इसका सर्वेक्षण का उद्देश्य शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और उन्हें अपनी स्वच्छता का स्तर जानने का अवसर प्रदान करना है। हर शहर के प्रदर्शन को
· म्युनिसिपल सोलिड वेस्ट – झाडू लगाना, कचरे का संग्रहण और ढुलाई
· म्युनिसिपल सोलिड वेस्ट – प्रसंस्करण और ठोस कचरे का निस्तारण
· खुले में शौच से मुक्त होना/ शौचालयों की व्यवस्था
· क्षमता निर्माण और इलैक्ट्रॉनिक माध्यमों से ज्ञान का प्रसार
· सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों का प्रावधान
· सूचना, शिक्षा और संचार तथा व्यवहारगत परिवर्तन आदि बिन्दुओं की कसौटी पर परखा जाता है।
ये कार्य केन्द्र के स्तर पर किया जा रहा है। इसी तरह राज्य सरकारों द्वारा भी अपने-अपने स्तर पर सबसे स्वच्छ शहर, जिला, तहसील और ग्राम पंचायतों को चुना जा सकता है। अगर इंदौर कर सकता है तो बाकी शहर क्यों नहीं? वर्ष 2017 के स्व्च्छता सर्वेक्षण में निचले पायदानों पर रहे भोपाल, मैसूर, सूरत, विशाखापट्टनम इस बार ऊपर आने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।
वर्ष 2017 के शीर्ष 15 स्वच्छ
शहरों में ये शहर शामिल हुए :
स्वच्छता सर्वेक्षण रैंक
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शहर
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राज्य / संघ शासित प्रदेश
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ये इत्तेफाक ही है कि जिन दिनों मैं इंदौर में हूं उन्हीं दिनों स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 चल रहा है। हो सकता है कि शहर इन दिनों पहले से ज्यादा सतर्क और मुस्तैद हो मगर यहां के स्थानीय लोगों से बातचीत करने से पता चलता है कि स्वच्छता अब यहां का वर्ष भर चलने वाला कार्यक्रम बन चुका है और अब धीरे-धीरे ये शहर की संस्कृति में घुल-मिल गया है। मेरे इंदौर में आने और शहर छोड़ने तक हर तरफ़ स्वच्छता अभियान की छाप नज़र आई. मैं इंदौर को 2018 में भी सबसे स्वच्छ शहर बनने की शुभकामनाएं देता हूं और पाठक मित्रों से आग्रह करूंगा कि मौका मिले तो एक बाद इंदौर जरूर जाएं और कुछ नहीं तो एक स्वच्छ शहर देखने के लिए ही सही.
17 अप्रैल, 2018 की अपडेट:
इंदौर को वर्ष 2018 में भी सबसे स्वच्छ शहर के रूप में चुुुुना गया है। इंदौर को बहुत ये खिताब बहुत मुबारक :)
कुुछ और तस्वीरें इन्दौर से:
17 अप्रैल, 2018 की अपडेट:
इंदौर को वर्ष 2018 में भी सबसे स्वच्छ शहर के रूप में चुुुुना गया है। इंदौर को बहुत ये खिताब बहुत मुबारक :)
कुुछ और तस्वीरें इन्दौर से:
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छप्पन की रौनक |
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सर्राफ़ा |
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देर रात 11 बजे भी सफाई जारी है |
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बहुत बढ़िया लिखा है सौरभ भी सामयिक मुद्दों को सामने रख कर शहर को प्रस्तुत किया यह काफी महत्व पूर्ण और अनोखा है। अक्सर हम ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तथ्यों को ही सामने लाते है। नजर तो इस पोस्ट पर उसी दिन पड़ गया था पर आज खोजकर पढ़ा क्योकिं उस हम सर्वे कर छोड़ दिए। बहुत-बहुत धन्यवाद अलग दृष्टिकोण से लिखने और शहर दिखाने के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया गौतम जी. ब्लॉग पर आते-जाते रहिएगा. आप जैसेे सुधि पाठक पढ़ते हैं इसीलिए लिखने का हौसला बना रहता है।
हटाएंबहुत बढ़िया लिखा है सौरभ भी सामयिक मुद्दों को सामने रख कर शहर को प्रस्तुत किया यह काफी महत्व पूर्ण और अनोखा है। अक्सर हम ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तथ्यों को ही सामने लाते है। नजर तो इस पोस्ट पर उसी दिन पड़ गया था पर आज खोजकर पढ़ा क्योकिं उस हम सर्वे कर छोड़ दिए। बहुत-बहुत धन्यवाद अलग दृष्टिकोण से लिखने और शहर दिखाने के लिए।
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