शहर की गलियों और उन गलियों में घरों की दीवारों को भी कला
के लिए कैनवास की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, इस एक खूबसूरत ख्याल ने पिछले कुछ सालों में देश के तमाम शहरों की शक्लो-सूरत
को बदल कर रख दिया है. फिर दिल्ली कैसे पीछे रह सकती थी. दिल्ली की जिस लोधी
कॉलोनी की पहचान अब तक सरकारी अफ़सरों और कर्मचारियों के घरों से होती थी वो
कॉलोनी अब देश की पहली आर्ट डिस्ट्रिक बन कर देश और दुनिया के नक्शे
पर अपनी अलग जगह बना रही है. चटख रंगों में रंगी इसकी सैकड़ों दीवारें आज हज़ारों
कहानियां कह रही हैं. अगर आपको कला में ज़रा भी दिलचस्पी है और आपने लोधी आर्ट
डिस्ट्रिक नहीं देखी तो फिर आपने बहुत कुछ नहीं देखा. स्ट्रीट आर्ट के माध्यम
से कला को एकदम से आम लोगों के बीच लाकर रख देना और लोगों को कला से जुड़ने का
अवसर देना अपने आप में एक क्रांतिकारी पहल है. एक नॉन प्रोफिट संगठन St+art India Foundation का स्ट्रीट आर्ट के साथ इस तरह प्रयोग करने का ये सिलसिला दरअसल चंद दीवारों के साथ दिल्ली से 2015 में
शुरू हुआ था और अब तक मुंबई, हैदराबाद,
बेंगलूरू, गोवा, कोयंबटूर,
चेन्नई, चंडीगढ़ और कोच्ची जैसे देश के तमाम
शहरों में आकर्षक रंगों और चित्रों से लबरेज़ सैकड़ों दीवारें आम शहरी की जिंदगी
का हिस्सा बन चुकी हैं. स्ट्रीट आर्ट फाउंडेशन, एशियन
पेंट्स जैसे प्रायोजकों और तमाम सरकारी एजेंसियों के सहयोग से देश भर में एक
अनूठी कलात्मक क्रांति की पटकथा लिख रहा है. अभी हाल ही में 1 मार्च को St+art India Foundation ने सीपीडब्ल्यूडी और एशियन पेंट्स के साथ मिलकर देश के
पहले पब्लिक आर्ट डिस्ट्रिक- लोधी आर्ट डिस्ट्रिक को जनता को
समर्पित किया है.
मैं पिछले कई वर्षों
से देश के तमाम शहरों में स्ट्रीट आर्ट को करीब से देखने और समझने की कोशिश करता
रहा हूं. शहर वाकई बदल रहे हैं और कला को लेकर उनका नज़रिया भी. एक ओर ये कला के अद्भुत नमूने जहां स्थानीय लोगों की
जिंदगी में सकारात्मक परिवर्तन ला रहे हैं वहीं दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों के लिए शहर को और भी
खूबसूरत अंदाज में प्रस्तुत कर रहे हैं. कला अब बंद गैलरियों की मिल्कियत नहीं रह गई है बल्कि कला का लोकतंत्रीकरण हो
रहा है. जो लोग आर्ट गैलरियों में नहीं जा सकते या जिनके पास इतनी फुर्सत नहीं है, उनके लिए कला ने खुद चल कर उनके गली-मुहल्ले यहां तक कि उनके अपने घर की
दीवारों, खिड़कियों और छज्जों पर अपना आशियाना बना
लिया है. अब हर रोज़ आस-पास के बाशिंदों को एक आर्ट गैलरी से गुज़रने का अहसास होता
है. यूं कहिए कि कला अब उनकी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन गई है. दिल्ली का लोधी
कॉलोनी भी कुछ ऐसा ही इलाका है जहां मेहरचंद मार्केट से लेकर खन्ना मार्केट तक का
हिस्सा एक मुकम्मल पब्लिक आर्ट गैलरी बन चुका है. सरकारी कर्मचारियों के घरों के
बीच की दीवारों पर देशी और विदेशी कलाकारों ने पिछले कुछ बरसों में रंगों से भरी
एक अद्भुत दुनिया रच दी है. हर दीवार जैसे कुछ कहती है. हर दीवार जैसे आपको अपने
पास रोक लेना चाहती हो.
मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया सिंगापुर के आर्टिस्ट यिप
येव चौंग की कलाकृति ने. फाइनेंस की बैकग्राउंड से आने वाले 50 वर्षीय चौंग ने
इस दीवार पर शहर की रोजमर्रा की जिंदगी से उठाए चरित्रों को रचा है जिसमें छज्जे
पर अखबार पढ़ते सरदार जी, मिठाई की दुकान,
गाय, बांसुरी बेचने वाला, दीवारों से लटकाए हुए कालीन, नाई की दुकान जैसे आम
दृश्य शामिल हैं. और क्या खूब कलाकारी की गई है. इस दीवार का हर हिस्सा एकदम
वास्तविक प्रतीत होता है. चौंग की कलाकृतियों की खासियत यह है कि वे देखने वाले
को कलाकृति का ही हिस्सा बन जाने के लिए आमंत्रित करती हैं. अब देखिए न, इस
कलाकृति में सीढ़ी और नाई की दुकान इतनी रियल है कि मैं खुद इसका हिस्सा बनकर
तस्वीरों में गुम हो गया. यहां हर रोज तस्वीरें खिंचवाने वालों का मजमा लगा रहता
है. आर्टिस्ट को उनके इन्स्टाग्राम हैंडल @yipyewchong पर फॉलो किया
जा सकता है.
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Artist: Yip Yew Chong |
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Artist: Yip Yew Chong |
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Artist: H11235 |
इस बार के स्ट्रीट आर्ट फेस्टीवल में तैयार की गई
कलाकृतियों में से ही एक और वॉल ने मुझे अपनी ओर खूब आकर्षित किया. ये है ब्लॉक
12 में जर्मन आर्टिस्ट बांड द्वारा दीवार पर किया गया 3डी प्रयोग. ये एक
तरह का augmented reality का खेल है. जिसमें देखने
पर लगेगा कि दीवार में से ही कुछ आकृतियां बाहर तक उभरी हुई हैं. लेकिन ऐसा है
नहीं. वहां तो केवल एक सपाट दीवार ही है. बस नज़र का धोखा है. और इस धोखे में
दीवार में मौजूद खिडकियां और दरवाजे सब गुम हुए नज़र आते हैं. बांड स्ट्रीट आर्ट की सीमाओं को तोड़ते नज़र आते हैं. उनकी इस अद्भुत रचना के जादू को #VuforiaViewApp के जरिए देखा जा सकता है. इस एप से इस स्ट्रीट आर्ट को देखने पर इसकी आकृतियां दीवार पर मचलती नज़र आएंगी. मानो वो वास्तव में दीवार से बाहर निकल रही हैं.
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Artist: @bondtruluv |
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Artist: @bondtruluv |
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Artist: Sam_Kulavoor |
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Artist: Nikunj |
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पर्दे के पीछे के कलाकार : नयनतारा और आरिफ |
इस आर्ट डिस्ट्रिक की कुछ और कृतियों ने मेरे दिल को छू लिया है. वे बार-बार मुझे अपनी ओर आकर्षित करती हैं. कुछ और दिलचस्प दीवारें यहां देखें...
ब्लॉक 14 में आर्टिस्ट आरोन @aaronglasson की कृति तो लाजवाब है. दूर से देखने पर सब कुछ एब्सट्रेक्ट
नज़र आता है. मगर एक-एक हिस्से को अलग-अलग करके देखने पर कुछ बातें उभर कर सामने दिखने
लगती हैं. इस कृति में केले के डंठल को गौर से देखिए. जहां डंठल
नहीं बल्कि दो हाथ एक दूसरे को थामे हुए हैं.
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Artist: @aaronglasson |
St+Art Foundation के सह-संस्थापक और कंटेंट डायरेक्टर, अक्षत नौरियाल कहते हैं कि, ‘इस साल हमारे कम्युनिटी आउटरीच प्रयासों को लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली
है. हमने लगभग 7500 घरों से अखबारों में पेम्फलेट आदि के जरिए उनकी प्रतिक्रिया,
उनकी रुचियों और लोधी कॉलोनी की कहानियों को जानने के लिए संपर्क किया
था. बाद में तमाम वर्कशॉप, परफॉर्मेंस और क्यूरेटेड टुर भी आयोजित
किए. इस सबके जरिए हम यहां के लोगों के सहयोग के लिए उनका शुक्रिया अदा करना चाहते
थे’. अक्षत की बात सही थी. इसकी तस्दीक यहां की एक कम्युनिटी
वॉल ‘साथ-साथ’ भी करती है जिसे यहां के
स्थानीय लोगों ने मिलकर रंगा है. जाहिर है कि ये एक दीवार यहां के लोगों के दिलों
में लोधी आर्ट डिस्ट्रिक के प्रति गर्व और स्वामित्व की भावनाएं जगाने में सफल रही
है. उस रोज आर्टिस्ट अखलाख अहमद इस दीवार को फाइनल टल देने में मशगूल थे. अखलाख ने
बताया कि वे सिर्फ इस दीवार पर लिखे शब्दों को सजा रहे हैं, बाकी का पेंट यहां के बच्चों और लोगों ने मिलकर किया है. मैंने कई स्थानीय लोगों से बात की, लोग इस बात पर एकमत नज़र आए कि इस स्ट्रीट
आर्ट ने उनकी कॉलानी को एक खूबसूरत शक़्ल दी है. उन्हें यहां रहना अब पहले से ज्यादा
अच्छा लगता है. नीरस दीवारें अब बोलने लगी हैं और लोग उनके घरों को देखने आने लगे
हैं. स्ट्रीट आर्ट के जरिए देश के शहर की सूरत बदलने के लिए St+Art का शुक्रिया का हकदार है.
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कम्युनिटी वॉल को अंतिम रूप देते अखलाख |
इस लेख का संपादित संस्करण प्रतिष्ठित पोर्टल द बेटर इंडिया पर प्रकाशित हुआ है।
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सौरभ आर्य |
सौरभ आर्य, को यात्राएं बहुत
प्रिय हैं क्योंकि यात्राएं ईश्वर की सबसे अनुपम कृति मनुष्य और इस खूबसूरत क़ायनात
को समझने का सबसे बेहतर अवसर उपलब्ध कराती हैं. अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. और एम.
फिल. की शिक्षा के साथ-साथ कॉलेज और यूनिवर्सिटी के दिनों से पत्रकारिता और लेखन का
शौक रखने वाले सौरभ देश के अधिकांश हिस्सों की यात्राएं कर चुके हैं. इन दिनों अपने
ब्लॉग www.yayavaree.com
के अलावा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और पोर्टल के लिए नियमित
रूप से लिख रहे हैं.
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Amazing man. Thanks for sharing . We will must come to see.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रजनीश जी !
हटाएंसौरभ जी, आपकी ये पोस्ट बहुत अच्छी लगी । इस तरह की पहल के लिए St+art और उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है ।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया मुकेश जी. आपने इतने धैर्य से पढ़ा. आभारी हूं.
हटाएंVery nice. Sojournatic.
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