कबाड़ से बना दुनिया का इकलौता वेस्ट टू वंडर पार्क
Waste to Wonder Park in Delhi.
कुछ कर दिखाने का जज़्बा हो तो सरकारी एजेंसियां भी कमाल कर दिखाती हैं. ऐसा
ही एक कमाल कर दिखाया है दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने. एसडीएमसी ने 150
टन स्क्रैप मेटल से दुनिया के सात आश्चर्यों के शानदार नमूनों के साथ बेहद
खूबसूरत ‘वेस्ट टू
वंडर पार्क’ तैयार कर दिया है. ये दुनिया का इकलौता ऐसा पार्क है जहां कबाड़ से सातों
आश्चर्यों की प्रतिकृतियां तैयार की गई हैं.
सराय काले खां के नज़दीक राजीव गांधी
स्मृति वन की जमीन पर बने इस पार्क में भारत के ताज़ महल से लेकर पेरिस का एफिल
टावर, पीसा की झुकती मीनार, गीज़ा का
ग्रेट पिरामिड, रोम का कोलोजियम, रियो
डी जेनेरियो की क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिकृति बेहद खूबसूरती से खड़ी हैं. ये
सभी कलाकृतियां नगर निगम के कुल 24 स्टोरों में बरसों से धूल फांक रहे ऑटोमोबाइल
के खराब कलपुर्जों और पंखों, रॉड, आयरन
शीट्स, नट-बोल्ट, बाइक के हिस्सों,
बेकार पड़ी सीवर लाइन के टुकड़ों से बनाई गई हैं. कुल 7.5 करोड़
रुपए की लागत से बना यह पार्क अब निगम के लिए आय का जरिया भी बनने जा रहा है.
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वेस्ट टू वंडर पार्क |
इन दिनों बच्चे दिल्ली घूमने आए हुए हैं सो हम लोग अपने ही शहर में टूरिस्ट
बने घूम रहे हैं. इस रविवार की शाम शुरूआत की इसी वंडर पार्क से. बस यही गुनाह कर
दिया कि रविवार की शाम कहीं घूमने निकल पड़े. पार्क का उद्घाटन हुए महीना भर भी
नहीं हुआ है और इस पार्क के लिए लोगों की दीवानगी का आलम ये है कि रविवार की शाम
यहां हज़ारों की संख्या में लोग पार्क देखने आ पहुंचे. टिकट के लिए एक अलग लाइन
और फिर पार्क में प्रवेश के लिए एक अलग लाइन. एक बार मन किया कि यहां से लौट चलें.
मगर फिर दूर से नज़र आते एफिल टावर ने मोह लिया और उस लंबी लाइन का सितम झेल ही
लिया. आप लोग अगर दिल्ली में रहते हैं तो भूल कर भी शनिवार या रविवार को न
जाएं....पार्क कहां भागा जा रहा है. किसी भी वर्किंग डे पर इत्मीनान से देखिएगा.
पार्क में प्रवेश करते ही बाईं ओर एक फव्वारा है. सेल्फी के दीवानों का मजमा
यहीं से लगना शुरू हो जाता है. थोड़ा आगे बढ़ते ही सबसे पहले गीज़ा का 18 फुट ऊंचा
ग्रेट पिरामिड है. इस पिरामिड में कबाड़ हो चुके ट्रकों से निकली मेटल का
प्रयोग किया गया है. मेटल शीट्स से बना ये मॉडल थोड़ा और ऊंचा बनाया गया होता तो
और आकर्षक लगता.
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The Great Pyramid of Giza @ Waste to wonder park |
थोड़ा और आगे बढ़ने पर ‘The Leaning Tower of Pisa’ यानि की पीसा की झुकती हुई मीनार नज़र आती है. अब तक अंधेरा होने लगा
है और 25 फुट उँची इस मीनार के अंदर जलती रौशनियां इसे और अधिक आकर्षक बना देती
हैं. इस मीनारे के गोल दायरे साइकिल की
रिम से बने हैं और मीनार के दरवाजे पर टाइपराइटर और ग्रास कटर के हिस्से देखे जा सकते
हैं. मीनार के चारों तरफ तस्वीर लेने वालों का मेला लगा है. कुछ नवविवाहित जोड़े
रोमांटिक पोज़ में यहां तस्वीरें खिंचवा रहे हैं. दरअसल नगर निगम भी तो यही चाहता
है. इस पार्क की संकल्पना ही एक एम्यूजमेंट पार्क के रूप में की गई है. जहां बच्चे, जवां लागों और बुजुर्गों सभी के लिए कुछ न
कुछ हो.
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वेस्ट टूू वंडर पार्क में पीसा की झुकती मीनार |
दक्षिण दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर श्री पी. के. गोयल कहते हैं कि ‘हमने फिल्म बदरी की दुल्हनिया में
कोटा के वंडर पार्क को देखा था. बस वहीं से इस पार्क की प्रेरणा मिली. लेकिन हमने
ये सातों आश्चर्य केवल और केवल कबाड़ से बनाए हैं. और अब हम पार्क में
प्री-वैडिंग फोटो शूट की भी इजाज़त देने पर विचार कर रहे हैं’. हालांकि अभी तक प्रशासन ने इस बारे में कोई सूचना जारी
नहीं की है.
यूं तो ये पार्क सुबह 11 से रात 11 बजे तक खुला रहता है मगर इस पार्क की असल
खूबसूरती गहराती रात के साथ निखर कर सामने आती है. पार्क में थोड़ा आगे बढ़ते ही आसमान
की गहरी रंगत के साये में चमचमाता एफिल टावर तो बस दिल ही चुरा लेता है.
मैंने असल एफिल टावर खुद तो नहीं देखा लेकिन अभी तक जितना तस्वीरों में देखा है ये
कबाड़ से बना एफिल टावर असल से कम भी नज़र नहीं आता.
लगभग 15 टन कबाड़ (पैट्रोल
टैंक, ऑटोमोबाइट पार्ट्स, क्लच
प्लेट, एंगेल, पार्क की रेलिंग) से
बनी कुल 60 फुट की ऊंचाई वाली ये एफिल टावर की प्रतिकृति दर्शकों की पसंदीदा है.
यहां से भीड़ बस हटने का ही नाम नहीं लेती है. इस पार्क में मौजूद सातों आश्चर्यों
में से एफिल टावर ही अकेली ऐसी प्रतिकृति है जिसके नीचे जाकर इसे करीब से देखा जा
सकता है या छुआ जा सकता है.
अन्य किसी भी नमूने को छूने पर ही 1000 रुपए का
जुर्माना तय किया गया है. इस प्रतिकृति को संदीप पिसालकर और प्रेम कुमार वैश्य ने
तैयार किया है.
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Christ the Redeemer@ Waste to wonder park |
स्टे्च्यू ऑफ लिबर्टी को गौर से देखिएगा.
32 फुट ऊंची इस प्रतिकृति में रिक्शा के एंगल, चिल्ड्रन पार्क की स्लाइड्स,
टी-स्टाल, बेंचों, इलैक्ट्रिक
मेटल वायर का इस्तेमाल किया गया है. इसके बाल साइकिल और बाइक की चेन से बनाए गए हैं
और मशाल बाइक रिम, मेटल शीट्स और साइकिल की चेन से बनाई गई है.
लेडी लिबर्टी ने हाथ में जो किताब पकड़ी हुई है उसे पार्क की बेंचों और मेटल शीट्स
से बनाया गया है. है न अजूबा ?
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Statue of Liberty @ Waste to wonder park |
और जनाब ताज़ महल (ऊंचाई 20 फुट) की तो बस बात ही मत कीजिए. मुझे असल ताज़महल से खूबसूरत लगा ये कबाड़े से बना ताज़महल. मुझे नहीं पता किन मज़दूरों ने इसे बनाया. मिल जाएं तो उनके हाथ ही चूम लूं.
इस वंडर पार्क की एक और दिलचस्प बात है बिजली के मामले में इसका आत्मनिर्भर होना. पार्क में 15 किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है और इसके साथ-साथ कुछ बिजली पवन चक्कियों से भी बनाने का इरादा है. पार्क के इस्तेमाल के बाद जो बिजली बचेगी उसे ग्रिड में भेज दिया जाएगा जिससे निगम को आय भी होगी. एसडीएमसी की ये पहल तमाम अन्य सरकारी संस्थाओं के लिए एक नज़ीर है जो अगर चाहें तो कचरे से सोना बना सकते हैं. इससे एक तरफ कचरे का निपटान हो सकेगा और दूसरी ओर शहर की खूबसूरती में भी इजाफा हो सकेगा. तो देर किस बात की है, करा लाइये अपने परिवार को दुनिया के सात आश्चर्यों की सैर.
इस वंडर पार्क की एक और दिलचस्प बात है बिजली के मामले में इसका आत्मनिर्भर होना. पार्क में 15 किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है और इसके साथ-साथ कुछ बिजली पवन चक्कियों से भी बनाने का इरादा है. पार्क के इस्तेमाल के बाद जो बिजली बचेगी उसे ग्रिड में भेज दिया जाएगा जिससे निगम को आय भी होगी. एसडीएमसी की ये पहल तमाम अन्य सरकारी संस्थाओं के लिए एक नज़ीर है जो अगर चाहें तो कचरे से सोना बना सकते हैं. इससे एक तरफ कचरे का निपटान हो सकेगा और दूसरी ओर शहर की खूबसूरती में भी इजाफा हो सकेगा. तो देर किस बात की है, करा लाइये अपने परिवार को दुनिया के सात आश्चर्यों की सैर.
समय: प्रात: 11 बजे से रात्रि 11 बजे तक (सोमवार बंद)
प्रवेश शुल्क:
आयु
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शुल्क
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0 से 3 वर्ष
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नि:शुल्क
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3 से 12
वर्ष
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25 रुपए
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12 से 65
वर्ष
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50 रुपए
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65 वर्ष से
अधिक
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नि:शुल्क
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कैसे पहुंचें: नज़दीकी मेट्रो
स्टेशन हज़रत निजामुद्दीन मेट्रो सटेशन है. यहां से कुछ ही दर मौजूद है ये पार्क.
पार्क मिलेनियम पार्क के एंट्री गेट के बहुत निकट है.
कुछ और तस्वीरें वेस्ट टू वंडर पार्क से :
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बढ़िया, अगली बार दिल्ली आना होगा तो इसे अवश्य देखेंगे. हालाँकि मुझे लगता है इसमें भारत के कुछ परिदृश्य भी होने चाहिए थे.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधा जी. अवश्य देखें. भारत का तो केवल ताज़ महल है. कारण ये भी है िकि दुनिया के 7 अजूबे ही चुनने थे पार्क अथॉरिटी को. तो सबसे स्वीकार्य 7 उन्होंने चुने हैं. अन्य आश्चर्यों को यहां लगाने से थीम पर असर पड़ने की संभावना थी.
हटाएंI have also seen yesterday when come from Nizamudin railways station to old Delhi in Auto.
जवाब देंहटाएंThanks for sharing complete info .
There is one more Park in Chandigarh made by Late sh. Nek Chand, called Rock Garden . It is also made from waste things like Tolet seats, broken cup plate, broken bangles.
Thanks Rajneesh ji, It's great to learn that you too have seen it. I have seen Chandigar's Rock Garden. That's amazing. seen that twice. :)
हटाएंमेरे दिल्ली के काफी मित्र यहां आजकल जा रहे है....एक बढ़िया कोशिश और पहल कुछ नया टूरिस्ट स्थान बनाने के लिये..... इसे बनाने से बहुत से लोगो को घूमने का एक और जगह मिल गया है....लेकिन शुरुआत होने से काफी भीड़ है अभी यहां...बढ़िया जगह...
जवाब देंहटाएंहां. प्रतीक जी. नया है, इसीलिए अभी लोगों में ज्यादा क्रेज़ नज़र आ रहा है. धीरे-धीरे भीड़ कम होगी. लेकिन ये दिल्ली के खाते में एक अनूठी उपलब्धि है.
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