लौट कर आना एक खामोश मुहब्बत का
Shiraz: A Romance of India
लगभग 300 साल पुराने मुग़लिया सल्तनत
के एक दिलचस्प किस्से पर भारतीय सिनेमा के शुरूआती दौर में 1928 में एक जर्मन-ब्रिटिश-भारतीय
मूक फिल़्म बनती है और फिर इतिहास में गुम हो जाती है। ये किस्सा था सेलीमा (बाद
में मुमताज़ महल) और शहज़ादे खुर्रम (बाद में शाहजहां), शिराज़ के इश्क और ताजमहल के बनने का।
आज जब ताज़महल
सवालों के घेरे में है, ऐसे
वक़्त में Shiraz: A Romance of
India का ग्रैमी अवार्ड के लिए नामांकित हो चुकी अनुष्का
शंकर जैसी विख्यात संगीतकार के संगीत से सज लौटना एक सुखद अनुभव है। इस असंभव को
संभव बनाया है ब्रिटिश काउंसिल और ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट (बीएफआई)
नेशनल आर्काइव ने।
फ्रांज़ ऑस्टन निर्देशित ‘शिराज़:
ए रोमांस ऑफ इंडिया’ फिल्म इन दिनों भारत और यूके के
बीच लंबे संबंधों को सेलीब्रेट करने के लिए मनाए जा रहे यूके/इंडिया 2017 ईयर
ऑफ कल्चर के कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में 1 से 5 नवंबर के दौरान भारत के चार शहरों हैदराबाद, कोलकाता, नई दिल्ली और मुंबई का दौरा कर रही है। मगर सबसे
दिलचस्प है 1928 की उस मूक फिल्म को अनुष्का शंकर के लाइव स्कोर के साथ
देख पाना।
हाल ही में ब्रिटिश काउंसिल के सभागार में एक प्रेस सम्मेलन में अनुष्का
शंकर ने इस फिल्म में दिए अपने संगीत के बारे में विस्तार से बात की। बकौल
अनुष्का इस फिल्म के लिए लाइव स्कोर देना उनके लिए यक़ीनन एक चुनौती भरा काम था
क्योंकि पूरी फिल्म में एक भी संवाद नहीं है और हर बदलते फ्रेम के साथ अलग तरह
के संगीत की जरूरत थी। इस काम में जहां उन्होंने शास्त्रीय संगीत की मदद ली वहीं
कुछ पश्चिमी साजों को भी साथ लिया है।
पियानो, सेल्लो, सिंथेसाइज़र, बांसुरी, तबला, मृदंगम, घटम, मोर्सिंग और सितार की जुगलबंदी ने फिल्म में
जान फूंक दी है और इस तरह कुल 8 संगीतकारों की टीम ने दिन रात एक करके इस काम को
पूरा किया। अनुष्का कहती हैं कि उन्होंने, ‘इस फिल्म में फिल्म की कहानी के समय, फिल्म के
बनने के समय और आज के समय को मद्देनज़र रखते हुए संगीत को रचने की कोशिश की है और
इस तरह ये इन तीनों का मिश्रण बन गई है। फिल्म में इस बात का खास ख्याल रखा है
कि कहां खामोश रहना है और कहां धीमे संगीत की जरूरत है क्योंकि लोग फिल्म देखने
आए हैं संगीत इसमें बाधा नहीं बनना चाहिए। बस कोशिश यही रही है कि दर्शकों को उस
दौर के संगीत का अनुभव हो सके’।
Robin Baker on Restoration of film. Pic : Yayavaree |
अनुष्का शंकर की उस प्रेसवार्ता के बाद मैंने किसी भी तरह इस फिल्म
को देखने का फैसला कर लिया था। दिल्ली में इसका शो शुक्रवार 3 नवंबर को सिरी
फोर्ट ऑडिटोरियम में होना है। जिसके टिकट बुक माई शो से खरीदे जा सकते हैं। मैंने
टिकट खरीदने की कोशिश की तो पाया कि दिल्ली के शो के टिकट पहले ही बिक चुके हैं।
खैर, मुझे किसी
तरह यह फिल्म देखने को मिल गई। कुल 1 घंटा 40 मिनट की यह फिल्म वाकई न केवल
भारतीय बल्कि विश्व सिनेमा की धरोहर है।
ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट के प्रमुख रोबिन
बेकर कहते हैं कि, ‘हम हर
साल एक मूक फिल्म को रीस्टोर करते हैं मगर चूंकि यह फिल्म यूके और भारत के
सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित करती है और क्योंकि आज कुछ ही भारतीय मूक फिल्में
शेष बची हैं इसलिए शिराज़ पर काम करना सही निर्णय था। अब केवल ऐसी 20 भारतीय फिल्में
ही बची हैं और उनमें से भी ज्यादातर अच्छी हालत में और पूरी तरह उपलब्ध नहीं
हैं। शिराज़ के मामले में हमारी किस्मत अच्छी थी कि इस पूरी फिल्म के नेगेटिव
हमारे पास मौजूद थे। इस फिल्म को रीस्टोर करने में इसे बनाने से ज्यादा वक़्त लगा
आखिर ये एक 90 साल पुरानी फिल्म थी’।
ये फिल्म भारतीय और पश्चिमी कलाओं और
संवेदनाओं का अद्भुत मिश्रण है। शिराज़ को एक जर्मन निर्देशक, एक ब्रिटिश सिनेमेटोग्राफर, भारतीय लेखक ने मिलकर बनाया।
पात्र भारतीय थे जिसमें शिराज़ की भूमिका उस वक़्त के मशहूर अभिनेता हिमांशु राय ने
निभाई और सेलीमा की भूमिका इनाक्षी रामा राउ ने।
शिराज़ दरअसल निरंजन पाल के एक नाटक पर आधारित फिल्म है जो मुग़ल बादशाह
द्वारा अपनी गुज़री बेग़म की याद में ताज़महल को बनवाने की रूमानी कहानी पर रौशनी
डालता है। कहानी कुछ हद तक काल्पनिक है तो काफी हद तक हक़ीकत के करीब है। फिल्म के
पहले दृश्य में तकरीबन 300 साल पहले पर्शिया के रेगिस्तान से गुज़रते एक कारवां पर
हमले को दिखाया गया है। इस हमले से किसी तरह बच गई एक बच्ची को एक ग्रामीण कुम्हार
अपने घर ले आता है ये बच्ची और कोई नहीं बल्कि राजकुमारी अर्जुमंद थी मगर इस सब से
बेख़बर कुम्हार बच्ची का नाम नाम सेलीमा रख देता है जो बाद में मुमताज़ महल के नाम
से जानी गई।
बाद में उस कुम्हार के बेटे शिराज़ और सेलीमा के बीच बचपन की दोस्ती
धीरे-धीरे मुहब्बत में बदलती है। एक दिन सेलीमा का अपहरण कर उसे गुलाम के रूप में
शहज़ादे खुर्रम (बाद में शाह-जहां) के आदमियों को बेच दिया जाता है। फिल्म हमें दिखाती
है कि कैसे इतनी बड़ी हुकूमत के शहज़ादे को सेलीमा का प्यार पाने के लिए भी जद्दोज़हद
करनी पड़ी।
कहानी कुछ ऐेसे मोड़ लेती है कि सेलीमा भी खुर्रम को चाहने लगती है और उधर
शिराज़ सेलीमा के इश्क में दीवाना हुआ जाता है। सेलीमा के लिए शिराज़ अपनी जिंदगी
तक दांव पर लगा देता है और फिर....फिर क्या हुआ ये जानने के लिए तो आपको फिल्म ही
देखनी चाहिए। ख़ैर एक रोज़ मुमताज़ महल का इंतकाल होता है और उसके प्रेम में डूबा बादशाह
उसके लिए एक यादगार मक़बरा बनवाना चाहता है। कलाकारों से सैकड़ों डिजाइन बनवाए गए
मगर बादशाह को पसंद आया शिराज़ का बनाया ताज़महल। जो एक पाक़ मुहब्बत को समर्पित था।
ये अपने आप में रोचक बात है कि फिल्म की ज्यादातर शूटिंग आउटडोर लोकेशन्स
पर की गई वो भी खासतौर पर आगरा और दिल्ली में। फिल्म को देखते वक़्त आगरा के किले
और ताज़महल के हिस्सों को पहचाना जा सकता है। इस फिल्म के दो किस सीन बहुत चर्चित
रहे।
ये अपने आप में बड़ा हैरानी भरा था कि 1920 के दशक की एक फिल्म में कलाकार बड़ी
बेतकल्लुफ़ी से चुंबन दृश्य दे रहे हैं। इससे ज़ाहिर होता है कि उस दौर में रोमांस
को लेकर एक हद तक सिनेमाई सहज़ता थी। मगर फिर अचानक क्या हुआ.....हमें बाद के दशकों
में वर्षों तक इस तरह का प्रसंग देखने को नहीं मिलता। ताज़महल पर हो रहे हमलों के बीच
इस फिल्म के आने के समय को लेकर अनुष्का कहती हैं कि, ‘ये केवल एक
इत्तेफ़ाक़ है, मगर उन्हें खुशी है कि ये फिल्म ऐसे समय में
सामने आ रही है'। वहीं बीएफआई के हैड क्यूरेटर बेकर कहते हैं कि, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि ये फिल्म लोगों को भारतीय
सांस्कृतिक विरासत को समझने का एक नया दृष्टिकोण देगी’।
भारत में अपना दौरा खत्म करने के बाद शिराज़ जनवरी 2018 में यूके में
सिनेमाघरों में रिलीज की जाएगी।
Shiraz: A Romance of
India का प्रदर्शन
नीचे दिए गए कार्यक्रमानुसार होगा:
1 नवंबर - हैदराबाद इंटरनेशनल
कन्वेंशन सेंटर, हैदराबाद
3 नवंबर - संघटक कला मंदिर, कोलकाता
4 नवंबर - सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
5 नवंबर – श्रीशडमुखानंद चंद्रशेखरेंद्र
सरस्वती ऑडिटोरियम, मुंबई
इस बेहतरीन फिल्म को फिर से जि़ंंदा करने के लिए ब्रिटिश काउंसिल और बीएफआई शुक्रिया के हकदार हैं। यूके/इंडिया 2017 के बारे में अधिक जानकारी के लिए ब्रिटिश काउंसिल की वेबसाइट www.britishcouncil.in देखी जा सकती है।
About Anoushka Shankar:
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Anoushka Shankar. Pic Courtesy: Anushka Menon |
Deeply rooted in the Indian Classical music tradition, Anoushka
Shankar studied exclusively from the age of nine under her father and guru, the
late Ravi Shankar, and made her professional debut as a classical sitarist at
the age of thirteen. By the age of 20, she had made three classical recordings
and received her first Grammy® nomination, thereby becoming the first Indian
female and youngest-ever nominee in the World Music category.
Through her bold and collaborative approach as a composer,
Anoushka has encouraged cross-cultural dialogue whilst demonstrating the
versatility of the sitar across musical genres. As a result, Anoushka has
created a vital body of work with a prominent roster of artists such as Sting,
M.I.A, Herbie Hancock, Pepe Habichuela, Karsh Kale, Rodrigo y Gabriela, and
Joshua Bell.
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